Ahoi Ashtami हिंदू धर्म का एक अत्यंत पावन और भावनात्मक पर्व है, जिसे हर साल कार्तिक कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। यह व्रत विशेष रूप से माताएं अपने बच्चों की दीर्घायु, सुख-समृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य के लिए करती हैं। इस दिन महिलाएं दिनभर निर्जला व्रत रखकर शाम को अहोई माता की पूजा करती हैं। इस व्रत के पीछे एक अत्यंत मार्मिक और प्रेरक कथा जुड़ी है, जिसे Ahoi Ashtami Ki Kahani के नाम से जाना जाता है।
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Ahoi Ashtami Ki Kahani (अहोई अष्टमी की कहानी)
बहुत समय पहले एक नगर में एक सेठानी रहती थीं जिनके सात पुत्र थे। कार्तिक महीने की अष्टमी के दिन वे अपने घर की सजावट के लिए मिट्टी लेने जंगल गईं। जब वह जमीन खोद रही थीं, तब गलती से एक सियार के बच्चे पर उनकी कुदाल लग गई और वह मर गया।
सेठानी इस घटना से बहुत दुखी हुईं, लेकिन अनजाने में हुई उस गलती का परिणाम उन्हें भारी पड़ा। कुछ ही समय में उनके सातों पुत्र एक-एक कर मर गए। तब उन्होंने अपने पाप का प्रायश्चित करने के लिए संतों से सलाह ली। संतों ने कहा कि उन्होंने अनजाने में जीव हिंसा की है, इसलिए उन्हें अहोई माता की आराधना करनी चाहिए।
सेठानी ने सच्चे मन से अहोई माता की पूजा की और अपने अपराध के लिए क्षमा मांगी। उनकी भक्ति और पश्चाताप से प्रसन्न होकर अहोई माता ने उन्हें आशीर्वाद दिया कि उनके पुत्र पुनः जीवित हो जाएंगे और भविष्य में ऐसा कोई दुख उन्हें नहीं झेलना पड़ेगा। तब से यह व्रत हर साल Ahoi Ashtami Ki Kahani की याद में मनाया जाने लगा और माताएं इस दिन अपनी संतान की कुशलता के लिए व्रत रखती हैं।
Ahoi Mata Ki Puja Vidhi
- सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और व्रत का संकल्प लें।
- दीवार या पूजा स्थान पर अहोई माता की तस्वीर या चित्र बनाएं।
- सात बिंदियां बनाएं जो सात पुत्रों या संतान का प्रतीक हैं।
- सुई, धागा, चांदी की मोहर, और पूजा का जल रखें।
- शाम को तारे या चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत खोलें।
- अंत में Ahoi Ashtami Ki Katha सुनें और परिवार की सुख-शांति की कामना करें।
Ahoi Ashtami Ka Mahatva (महत्व)
- यह व्रत माताओं के निःस्वार्थ प्रेम और त्याग का प्रतीक है।
- माना जाता है कि अहोई माता, जो माता पार्वती का ही स्वरूप हैं, संतान को रोग, दुःख और बुरे समय से बचाती हैं।
- यह पर्व न केवल मातृत्व का सम्मान करता है, बल्कि सच्ची आस्था और कर्मफल के सिद्धांत को भी दर्शाता है।
- यह व्रत करवा चौथ के चार दिन बाद और दीपावली से सात दिन पहले मनाया जाता है।
Ahoi Ashtami Ki Kahani Se Juda Itihas aur Facts
- “Ahoi” शब्द सियार की आकृति से जुड़ा है, जो इस व्रत का प्रतीक माना जाता है।
- इसे कई जगहों पर Ahoi Aathe भी कहा जाता है।
- प्राचीन मान्यताओं के अनुसार, इस दिन उपवास रखने से संतान दीर्घायु होती है।
- महिलाएं इस दिन तारों या चंद्रमा को देखकर जल अर्पित करती हैं और तभी व्रत खोलती हैं।
Ahoi Ashtami 2025: तिथि और शुभ मुहूर्त
- तिथि: 27 अक्टूबर 2025 (सोमवार)
- पूजा मुहूर्त: शाम 5:30 बजे से 6:45 बजे तक (अनुमानित)
- चंद्रोदय: रात्रि लगभग 8:00 बजे
Ahoi Mata Ki Katha Ka Paath (संक्षिप्त रूप में)
एक सेठानी के सात पुत्र थे। एक दिन वह मिट्टी लेने गईं और गलती से सियार के बच्चे को मार दिया। उसके बाद उनके सभी पुत्र मर गए। दुखी होकर सेठानी ने अहोई माता की पूजा की। उनकी सच्ची श्रद्धा से प्रसन्न होकर माता ने उनके पुत्रों को जीवित कर दिया और आशीर्वाद दिया कि जो महिला इस दिन उनकी पूजा करेगी, उसकी संतान सदा सुखी और दीर्घायु होगी।
Conclusion
Ahoi Ashtami Ki Kahani हमें सिखाती है कि सच्ची भक्ति, पश्चाताप और श्रद्धा से हर कठिनाई दूर हो सकती है। यह पर्व केवल एक व्रत नहीं, बल्कि मां के अटूट प्रेम, विश्वास और त्याग का प्रतीक है। जब महिलाएं इस दिन अहोई माता की पूजा करती हैं, तो वे न केवल अपनी संतान की रक्षा की कामना करती हैं, बल्कि अपने मातृत्व को भी शक्ति और आशीर्वाद से भर देती हैं।
यह व्रत पीढ़ियों से चला आ रहा है और आज भी माताएं उसी श्रद्धा और विश्वास से इसे निभाती हैं — यही है Ahoi Ashtami Ki Kahani का असली सार।