आज सुबह जब लोगों ने Google खोला, तो उन्हें सामने दिखा एक स्वादिष्ट और पहचानने लायक दृश्य — Google Doodle पर इडली, सांभर और नारियल की चटनी की प्लेट!
यानी आज का दिन समर्पित है भारत के सबसे पसंदीदा नाश्ते Idli को।
लेकिन क्या तुमने कभी सोचा है कि ये सादी, मुलायम सी इडली आखिर आई कहाँ से? चलो जानते हैं, इडली का इतिहास, इसकी शुरुआत और वो दिलचस्प सफर जिसने इसे “South India की शान” बना दिया।
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Idli की शुरुआत कैसे हुई?
Idli आज भारत के हर घर में खाई जाती है, लेकिन इसका इतिहास हजार साल से भी पुराना है।
इतिहासकारों के मुताबिक, 10वीं सदी के कन्नड़ ग्रंथ Vaddaradhane में “Iddalige” नाम से एक व्यंजन का जिक्र मिलता है।
वहीं, 1130 ईस्वी के संस्कृत ग्रंथ Manasollasa में “Iddarika” नाम की डिश का उल्लेख है।
हालांकि, उस वक्त इडली आज जैसी नहीं थी — उसमें चावल का इस्तेमाल नहीं होता था और fermentation की प्रक्रिया भी नहीं थी।
धीरे-धीरे समय के साथ, ये साधारण सी डिश विकसित होती गई और बनी आज की मुलायम और स्पंजी इडली।
क्या इडली इंडोनेशिया से आई थी?
अब आता है सबसे दिलचस्प हिस्सा — इडली का इंडोनेशिया से संबंध!
Food historian K. T. Achaya के अनुसार, इडली की शुरुआत संभवतः इंडोनेशिया से हुई।
800 से 1200 ईस्वी के बीच चोल साम्राज्य के व्यापारी और राजा इंडोनेशिया से व्यापार करते थे, और वहीं से “Kedli” नामक एक steamed fermented dish भारत आई।
क्योंकि उस समय भारत में “भाप में पकाने” (steaming) की परंपरा नहीं थी, तो यह तकनीक इंडोनेशिया से ही आयी मानी जाती है।
इसलिए कहा जा सकता है कि Idliएक “culinary bridge” है — जिसने दो देशों के स्वाद को जोड़ा।
दक्षिण भारत में इडली की पहचान
समय के साथ, इडली दक्षिण भारत के हर राज्य में अपनी पहचान बनाने लगी।
तमिलनाडु में इसे “मल्लिगे इडली” कहा गया, कर्नाटक में “थट्टे इडली”, और आंध्र प्रदेश में “कांचीपुरम इडली” नाम से इसका स्वाद फैला।
हर जगह इसका रूप थोड़ा बदला, लेकिन मूल भावना वही रही — हल्का, पौष्टिक और सबको पसंद आने वाला नाश्ता।
आज ये सिर्फ एक व्यंजन नहीं, बल्कि दक्षिण भारतीय संस्कृति का प्रतीक बन चुकी है।
रवा इडली का जन्म – युद्ध के समय की खोज
World War II के समय जब भारत में चावल की कमी थी, तो बेंगलुरु की मशहूर Mavalli Tiffin Room (MTR) ने चावल की जगह सूजी (rava) से इडली बनाने की कोशिश की।
और वहीं से जन्म हुआ रवा इडली (Rava Idli) का — जो आज लगभग हर होटल और घर में मिल जाती है।
यानी ज़रूरत ने इजाद कर दी एक नई स्वादिष्ट डिश!
इडली का विज्ञान – Fermentation की ताकत
इडली की खासियत है कि ये naturally fermented होती है।
यानी इसमें कोई yeast या baking soda नहीं डाला जाता।
उड़द दाल और चावल को भिगोकर पीसा जाता है, और फिर कुछ घंटों के लिए ferment होने दिया जाता है।
इस दौरान Lactic acid bacteria और Yeasts मिलकर बैटर को हल्का और स्पंजी बना देते हैं।
यही वजह है कि इडली आसानी से digest होती है और हेल्थ के लिए भी बेहतरीन मानी जाती है।
दुनिया में फैली इडली की खुशबू
आज इडली सिर्फ दक्षिण भारत तक सीमित नहीं रही।
विदेशों में बसे भारतीयों ने इसे global बना दिया है — अब ये New York से लेकर London तक हर Indian restaurant में आसानी से मिल जाती है।
और अब जब Google Doodle Idli को सेलिब्रेट करता है, तो ये साफ दिखता है कि ये साधारण डिश अब Global Icon बन चुकी है।
निष्कर्ष
इडली सिर्फ एक व्यंजन नहीं, बल्कि भारत की परंपरा, नवाचार और स्वाद का संगम है।
10वीं सदी के “Iddalige” से लेकर आज के Google Doodle Idli तक — इसका सफर बताता है कि सादगी भी इतिहास बना सकती है।
चाहे नाश्ता हो या यादें, इडली हमेशा भारतीय थाली का सबसे सॉफ्ट हिस्सा बनी रहेगी।