स्टॉकहोम (7 अक्टूबर 2025) – इस साल का Nobel Prize for Physics 2025 तीन वैज्ञानिकों को मिला है जिन्होंने क्वांटम टेक्नोलॉजी की दिशा में क्रांतिकारी खोज की है। ये नाम हैं – John Clarke, Michel H. Devoret, और John M. Martinis।
इन तीनों वैज्ञानिकों को ये पुरस्कार इसलिए दिया गया है क्योंकि इन्होंने यह साबित किया कि क्वांटम फेनोमेना (Quantum Phenomena) सिर्फ सूक्ष्म स्तर (micro level) पर ही नहीं, बल्कि बड़े सिस्टम्स में भी संभव है।
क्या है इनकी खोज का मतलब?
इन्होंने macroscopic quantum tunneling और energy quantisation in electric circuits जैसी complex चीजों को practically demonstrate किया।
साधारण भाषा में समझो तो — ये वही concept है जो आज के quantum computers, quantum sensors, और secure communication systems की नींव बन चुका है।
मतलब, इनकी खोज ने उस तकनीक को जन्म दिया जो भविष्य में computing और data security का चेहरा पूरी तरह बदल सकती है।
Nobel Committee ने क्या कहा?
Nobel Committee ने अपने बयान में कहा –
“इन वैज्ञानिकों ने वो रास्ता खोला है जिससे हम अब Quantum Physics को असली दुनिया के बड़े सिस्टम्स में इस्तेमाल कर सकते हैं। उनका काम Quantum Technology के नए युग की शुरुआत करता है।”
पिछले साल का संदर्भ
पिछले साल यानी 2024 में, Nobel Prize in Physics Geoffrey Hinton और John Hopfield को दिया गया था, जिनका योगदान Artificial Intelligence और Neural Networks में रहा।
इस बार का फोकस AI से बढ़कर Quantum Reality पर है — यानी अगले दशक की टेक्नोलॉजी की असली नींव।
क्यों है ये खोज इतनी अहम?
- Quantum Computers अब ज्यादा stable और तेज़ बन रहे हैं।
- Data encryption और secure communication में नया level आ गया है।
- Sensors अब atoms की movement तक detect कर सकते हैं।
इन सब innovations की जड़ में Clarke, Devoret, और Martinis का काम है।
निष्कर्ष
Nobel Prize for Physics 2025 ने फिर से साबित कर दिया कि विज्ञान की दुनिया में imagination और innovation की कोई सीमा नहीं होती।
इन तीन वैज्ञानिकों की खोज आने वाले समय में हमारी दुनिया को और “स्मार्ट”, “फास्ट” और “सिक्योर” बनाएगी।